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Kalidas; A great poet

kalidasa a intro : Kālidās was a Classical Sanskrit writer, widely  considered   the best  poet and dramatist  within the  Sanskrit language of India. His plays and poetry are  based  on the Vedas, the Ramayana, the Mahabharata  and therefore the  Puranas.  His surviving works  carries with it  three plays, two epic poems and two shorter poems. Much about his life is unknown, only what  are often  inferred from his poetry and plays. His works  can not be  dated with precision, but they were  possibly  authored within the 4th–5th century CE. Scholars have speculated that Kalidasa may have lived near the Himalayas,  within the  vicinity of Ujjain, and in Kalinga. This hypothesis  relies  on Kalidasa's detailed description of the Himalayas in his Kumārasambhava, the display of his love for Ujjain in Meghadūta, and his highly eulogistic descriptions of Kalingan emperor Hemāngada in Raghuvaṃśa (sixth sarga). Lakshmi Dhar Kalla (1891–1953), a Sanskrit scholar and a Kashmiri Pa

परशुराम जयंती 2020 उत्सव

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परशुराम जयंती 2020 कब है? यह क्षेत्रीय भारतीय अवकाश वैशाख के महीने में शुक्ल पक्ष की तृतीया (तीसरे दिन) को मनाया जाता है। यह हिंदू धर्म में भगवान विष्णु के छठे अवतार परशुराम की जयंती मनाता है। PARSURAMA JAYANTI2020 हिंदू पौराणिक कथाओं में भगवान विष्णु के 6 वें अवतार माने जाने वाले महर्षि परशुराम की जयंती को सम्मान देने के लिए परशुराम जयंती मनाई जाती है। गुजरात, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान और हरियाणा राज्यों में, यह 2020 में 25 अप्रैल, शनिवार को मनाया जाता है। पंजाब और मध्य प्रदेश राज्यों में, यह 2020 में 26 अप्रैल, रविवार को मनाया जाता है। इस दिन को उच्च लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए जीवन की सुख-सुविधाओं का त्याग करने के रूप में उपवास करके मनाया जाता है। उपवास आमतौर पर एक दिन पहले शुरू होता है। यह नए प्रयासों को शुरू करने और नए व्यवसाय प्राप्त करने के लिए एक शुभ अवसर के रूप में भी मनाया जाता है। इस दिन को अक्षय तृतीया भी कहा जाता है। लोग उन मंदिरों की यात्रा भी करते हैं जो विशेष रूप से महर्षि को समर्पित हैं ताकि उन्हें उनकी आज्ञा का पाल

Parsuram Jayanti 2020

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When is Parashurama Jayanti? This regional Indian holiday is observed on Tritiya (third day) of the Shukla Paksha  within the  month of Vaishakh. It celebrates the birth anniversary of Parashurama, the sixth incarnation of Lord Vishnu in Hinduism. parsurama jayanti2020 Jai Parshuram jayanti sms in hindi Parasuram Jayanti  is widely known  to honor the birth anniversary of Maharishi Parasuram, who  is taken into account  to be the 6th avatar of Lord Vishnu  within the  Hindu mythology.  within the  states of Gujarat, Himachal Pradesh, Rajasthan, and Haryana,  it's  celebrated in 2020 on 25 April, Saturday.  within the  states of Punjab and Madhya Pradesh,  it's  celebrated on 26 April, Sunday, in 2020. The day is observed by fasting as  some way  of sacrificing the comforts of life  so as   to achieve  higher goals. Fasting usually begins the day before. It is also celebrated as an auspicious occasion  to start  new endeavours and acquire new possessions, whether  it'

महर्षि मतंग और माता सबरी

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शबरी श्री राम की परम भक्त थी जिन्होंने उन्हें झूठे बैर खिलाये थे, शबरी का असली नाम “श्रमणा” था, वह भील सामुदाय के शबर जाति से सम्बन्ध रखती थीं इसी कारण कालांतर में उनका नाम शबरी पड़ा । उनके पिता भीलों के मुखिया थे, श्रमणा उनका विवाह एक भील कुमार से तय हुआ था, विवाह से पहले कई सौ पशु बलि के लिए लाये गए जिन्हें देख श्रम बड़ी आहत हुई. यह कैसी परंपरा जिसके बेजुबान और निर्दोष जानवरो की हत्या की जाएगी इस कारण शबरी विवाह से 1 दिवस पूर्व भाग गई और दंडकारण्य वन में पहुंच गई। दंडकारण्य में मातंग ऋषि तपस्या किया करते थे, श्रमणा उनकी सेवा तो करना चाहती थी पर वह भील जाति की होने के कारण उसे अवसर ना मिलाने का अंदेशा था। फिर भी शाबर सुबह-सुबह ऋषियों के उठने से पहले उनके आश्रम से नदी तक का रास्ता साफ़ कर देती थीं, कांटे चुनकर रास्ते में साफ बालू बिछा देती थी। यह सब वे ऐसे करती थीं कि किसी को इसका पता नहीं चलता था। 1 दिवस ऋषिश्रेष्ठ को शबरी दिख गई और उनके सेवा से अति प्रसन्न हो गए और उन्होंने शबरी को अपने आश्रम में शरण दे दी। जब मतंग का अंत समय आया तो उन्होंने शबरी से कहा कि वे अपने

सावधान! अगर आप लॉक डाउन का उल्लंघन कर रहे हैं तो :

जी हां। कोरोना को फैलने से रोकने के लिए लगाए गए लॉक डाउन  का अगर आप  उल्लंघन कर रहे हैं तो अब हो जाइए सावधान क्योंकि : लाॅकडाउन का उल्लंघन किया तो पासपोर्ट नहीं बनेगा, सरकारी नाैकरी भी नहीं लगेगी।  लाॅकडाउन का उल्लंघन करने वाले  सावधान हाे जाएं। जिन लोगों के खिलाफ पुलिस  लाॅकडाउन उल्लंघन का केस दर्ज करेगी वे न ताे  पासपाेर्ट बना सकेंगे और ना ही उनकी सरकारी  नाैकरी लग सकेगी। पुलिस अब ऐसे लाेगाें के खिलाफ चालान पेश करने जा रही है। ऐसे लाेगाें के बारे  में भी जानकारी मांगी गई है जिनके खिलाफ  मामले दर्ज हुए हैं और सरकारी  नाैकरी में हैं । लाॅकडाउन से अब तक 556 केस दर्ज हुए हैं। इनमें  830 से ज्यादा लाेगाें काे आराेपी बनाया गया है। सरकारी  कर्मचारियों के खिलाफ संबंधित विभाग काे लिखा जा रहा है।  830 आराेपियाें में से 570 की उम्र 20 से 40 के बीच  हैं। यानी अधिकतर या तो किसी काम की तलाश में हैं या  प्रतियाेगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं। Share and comments are appreciated... Subscribe for latest updates...

क्यों ब्रिटेन में लोग मोबाइल टॉवर जला रहे हैं जानिए कोरोना का भय

कैसे कोरोना के डर ने ब्रिटेन में मचाई तबाही : कोरोना वायरस के  फैलाव के बीच सोशल मीडिया पर 5 जी टेक्नोलॉजी  के खिलाफ जमकर अभियान चल रहा  है। फेसबुक ग्रुप, व्हाट्सएप संदेशों और  यूट्यूब पर यह गलत प्रचार हो रहा है  कि 5 जी टेक्नोलॉजी की रेडियो तरंगों  से लोगों के शरीर में परिवर्तन होते हैं  इसलिए वह वायरस का शिकार हो जाता  है। ब्रिटिश अधिकारियों ने बताया कि  देश में इस माह वायरलैस टॉवर जलाने  की 30 से अधिक घटनाएं हो चुकी हैं।  टेलीकॉम टेक्नीशियन को परेशान करने  की 80 से अधिक घटनाएं हो चुकी हैं।  ब्रिटेन के बर्मिंघम, लिवरपूल सहित कई स्थानों और उत्तर आयरलैंड के  बेलफास्ट में ऐसी घटनाएं हुई है। 23 मार्च को ब्रिटिश सरकार ने 5जी  उपकरणों की खास सुरक्षा के आदेश जारी  कर दिए हैं। इन घटनाओं से पता लगता है  कि वास्तविक दुनिया में कोरोना वायरस  साजिश का कैसा अंधा प्रचार किया जा  रहा है। गलत प्रचार अभियान पर रिसर्च  करने वाले विशेषज्ञों का कहना है, कोरोना  वायरस से पहले कभी ऐसे अभियान ने  इतनी जल्दी बहुत नुकसान नहीं पहुंचाया  है। ब्रूसेल्स स्थित यूरोपियन यूनियन  डिसइंफो

जलियांवाला बाग 13अप्रैल 1919

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DO YOU KNOW ?  TODAY IS 13 APRIL AND THIS IS THE DARKEST DAY IN THE HISTORY OF COLONIAL INDIA. ON 13TH OF APRIL IN 1919 HUNDREDS OF PEOPLE WERE DEAD AND THOUSANDS OTHER PEOPLE GOT INJURED IN POLICE FIRING AT JALLIANWALA BAGH IN PUNJAB DURING BRITISH RULE IN INDIA. IT IS ONE OF THE MOST HEINOUS CRIME DONE BY BRITISH ARMY DURING COLONIAL RULE IN INDIA. 13TH OF APRIL IS  BAISAKHI DAY  WHICH IS A FESTIVAL OF SIKH RELIGION AND ON A PEACEFUL GATHERING IN JALLIANWALA BAGH (AMRITSAR) . GENERAL DYER  A BRITISH OFFICIAL ORDERED HIS TROOPS TO OPEN FIRE ON PEACEFUL GATHERING OF PEOPLE WHO CAME THERE FOR RELIGIOUS CEREMONY. आज 13 अप्रैल है आज का दिन भारत के इतिहास का सबसे काला दिन है। ब्रिटिश राज के दौरान 13 अप्रैल 1919 को बैसाखी के दिन हजारों लोग जलियांवाला बाग (अमृतसर ) मे इकठ्ठा हुए थे । ब्रिटिश सरकार के अधिकारी में जनरल डायर ने अपनी सेना को आदेश देकर निहत्थे व निर्दोष लोग जो धार्मिक त्यौहार के लिए एकत्रित हुए थे उन पर गोलियां  चलवाई।  इसमें लगभग 400 से अधिक लोग मारे गए तथा हजार